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हिन्दी दिवस की कहानी।

Updated: Sep 18, 2019

14 सितम्बर को हमारे व्हाट्सएप पर ढेरों मैसेंज आये जो हिन्दी दिवस की शुभकामनायें दे रहे थे और कुछ मैसेंज हमारे को हिन्दी नहीं यूज़ करने के लिए लानत दे रहे थे।

आखिर क्यों 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

हमने नेट खंगाला और विकिपीडिया की जानकारी सटीक लगी।

"हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।" - विकिपीडिया से साभार।


हिन्दी दिवस पर अनेक व्हाट्सएप मैसेज विभिन्न जानकारियां से भरे थे। उनमें से एक हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। यह हिन्दी भाषा के उच्चारण में प्रयुक्त मुँह के विभिन्न अंगों के प्रयोग के आधार अक्षरों को विभिन्न समूहों में बांटा गया है।

और इस गठन को वैज्ञानिक आधार बताया गया है।

इसकी पुष्टि हम नहीं कर पाये हैं परन्तु जानकारी दिलचस्प लगी।


हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है? उसके पीछे कुछ कारण है अंग्रेजी भाषा में यह बात देखने में नहीं आती ।

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क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए,

क्योंकि इनके उच्चारण के समय

ध्वनि कंठ से निकलती है ।

एक बार बोल कर देखिये ।

च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,

क्योंकि इनके उच्चारण के समय

जीभ तालू से लगती है ।

एक बार बोल कर देखिये ।

ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,

क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के

मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है ।

एक बार बोल कर देखिये ।

त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,

क्योंकि इनके उच्चारण के

समय जीभ दांतों से लगती है ।

एक बार बोल कर देखिये ।

प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,

क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के

मिलने पर ही होता है ।

एक बार बोल कर देखिये ।

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हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं

यह सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये ।

इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है।

संकलन: अनिल कुमार सागर, वरिष्ठ लेखक - स्वतंत्र पत्रकार

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